
सभी मित्रों को नमस्कार ।
आज हम जीवन में एक संघर्ष मय काल से गुज़र रहे हैं और ये समस्त मानव जाति के लिए एक चैलेंज है कि हम जीवित के साथ स्वस्थ भी रहें और अपनी गुणवत्ता के साथ साथ अपनी उत्पादकता( प्रोडक्टिविटी) को बनाकर रखें आज के समय में हम सभी युवा या 40 क्रॉस कर चले उद्यमी चाहे वो किसी भी व्यवसाय में हो सबके समक्ष स्वयं को स्वस्थ रखकर व्यस्त रखने की ज़िम्मेदारी है ।
कुछ नकरात्मक शक्तियाँ भी है (यहाँ नाम नहीं लूंगा) जो स्वयं को सर्वोपरि समझ सर्वसाधारण के जीवनों को लगातार बिना किसी रोक टोक के अपने नियंत्रण में रखने के लिए प्रयासरत हैं ऐसे में स्वयं को स्वस्थ रखना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए
मैं सेवा निवृत्त अपने श्रेष्ठ जनों से भी अनुरोध करूँगा कि ऐसा कुछ प्रोडक्टिव कार्य करें जिससे युवाओं और किशोरों को प्रेरणा मिले सिर्फ़ दैनिक दिनचर्या निपटाकर न्यूज़ देखना कहीं से भी सृजनात्मक नहीं है ।
जॉर्नलिस्ट हो या क्रिकेट खिलाड़ी या कोई भी टी वी के स्क्रीन पर दिखने वाले ये उद्यम में लगे हुए हैं और पैसा बना रहे हैं जिस चीज़ से मुझे कोई हर्ज़ नहीं है और न किसी को हर्ज़ होना चाहिये ।
अब बात आती है , ई- कामर्स कि जो हमें आज कल सर्वाधिक प्रभावित करता हैं चाहे दीवाली हो या होली किसी न किसी बहाने सेल चलती है
और हम धड़ल्ले से सामान को खरीद कर स्वयं में गर्वान्वित महसूस करते हैं कि धन की बचत भी हो गई और शॉपिंग भी हो गई ।
पिछले दिनों मैंने एक सर्वे पढ़ा जिसमें पता चला कि एक ऑनलाइन ई- कॉमर्स कंपनी ने अपने फ़्लैश सेल के दौरान महज़ दो दिनों में ही दो करोड़ के एप्पल आइफोन्स बेच डाले ।
इससे पता चलता है कि ब्रांड आज कल सिर्फ उच्च क्लास के पिंजरे में बंद तोता मात्र नही रह गया अब क्लास की तरफ हमारा मध्यम वर्ग भी जाने की चेस्टा कर रहा है ।
अच्छा भी है ।
मैं सिर्फ़ इलेक्ट्रॉनिक्स या मोबाइल्स में बातें करता हूँ क्यूँकि इस क्ष्रेत्र में मुझे रुचि है और ये विषय वस्तु मुझे बहुत आकर्षित करती है ।
अब वार्तालाप को थोड़ा आगे बढ़ाते हैं तो चलिए देखते हैं कि एक ब्लू टूथ डिवाइसेस में विशेषता रखने वाली कंपनी बहुत तेज़ी से पिछले तीन या बहुत ज़्यादा बोलेंगे तो चार वर्षों में सामने आई है जिसका नाम है बोट ( boat) , उसकी स्मार्ट वॉचेस , हेडफोन्स और बहुत से प्रोडक्ट्स मार्केट में लगातार धूम मचा रहे हैं और मार्केटिंग की नीति के तहत कई दिग्गज चाहे वो क्रिकेटर्स हो या फ़िल्म स्टार्स सभी जोर शोर से उस कंपनी की ब्रांडिंग में लगे हुए है जिसके चलते मध्यम वर्ग खासकर युवाओं में इस ब्रांड को फॉलो करने की चाह दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है । परंतु सिर्फ़ ब्रांड फॉलो करने से ही क्या हम बड़े बन सकते हैं या बुद्धजीवी कहला सकते हैं ये मात्र कल्पना है क्यूँकि जब तक उस ब्रांड को वहाँ तक पहुँचाने वाले को भली – भाँति नहीं जानेंगे या जानने की चेष्टा करेंगे तब तक हम उस ब्रांड के असली फॉलोवर नहीं बन सकते ।
मैं बात कर रहा हूँ Boat India के युवा उद्यमी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर श्री अमन गुपता की जोकि आज किसी पहचान के मोहताज नहीं और देखिए देश में पढ़कर देश मे ही रहकर बड़ा नाम , दौलत और यश सब बना रहे हैं और आत्मनिर्भरता की एक बेजोड़ मिसाल है ।
इन्हें किसी विदेशी कंपनी के आगे जी हुजूरी करने की आवश्यक्ता नहीं पड़ी या ये सिर्फ़ सिस्टम को गाली नहीं देते या फ़िर किसी चेन के थ्रू बड़ा बनने की कोशिश कर रहे हैं ।
इन्हें शुरुआती दौर में थोड़ा संघर्ष करना पड़ा लेकिन एक बार जब इन्वेस्टर मिला तो इन्होंने इतने कंपीटिशन वाले क्षेत्र में एक ब्रांड डेवेलप करके दिखाया वो भी बहुत ही कम समय मे ।
इनकी चर्चा इसलिए कर रहा हूँ क्यूंकि जो युवा दिशाविहीन हो कर घूम रहे हैं या मात्र राजनीति को एक मात्र विकल्प मान बैठे है आगे बढ़ने के लिए उनके लिए तो ये बहुत बड़ा सबक है कि कैसे एक लड़का ज़ीरो से शुरू कर आज 600 लोगों क़ीमल्टीनेशनल ब्रांडिंग वाली कंपनी चला रहा है और अभी भी इतनी बुरी अर्थव्यवस्था देखने के बाद भी हम सिर्फ़ सनातनी का चोगा ओढ़ना पसंद कर रहे हैं पहनिए और संस्कृति बचाइए पर ब्रांड बनिए पहले तब लोग आपकी बातों को अच्छे से सुनना पसंद करेंगे ।
कार्य क्षेत्र में कुछ नया लाइये देश को छोड़ कर भागने की सोच सिर्फ़ कायर रख सकता है या आपको भगाने की साजिश भी हो सकती है लेकिन ऊर्जा का सदुपयोग तो तभी है जब मेरा आगे बढ़ना कहीं न कहीं देश को आगे ले जाए ।
आप लोगों ने यदि” शार्क टैंक ” नामक tv श्रृंखला का नाम नहीं सुना तो इसको जानिए और कमसे कम देखकर कुछ प्रेरणा लीजिये की कैसे उद्यमी उद्योगपति या व्यापारी बना जा सकता है ।
इसे सकरात्मक बात मानिये ये लेख मेरा आज की युवा पीढ़ी से अपील है कि ब्रांडेड की दौड़ में अंधे बनकर मत दौड़िये अपना ब्रांड बनाइये चाहिए नौकरी हो या व्यवसाय आज ही से मेहनत से सजगता के साथ लग जाइए कि देश को आगे ले जाने के लिए सिर्फ प्रशासन और राजनैतिक पार्टियों के भरोसे नही बैठना है आप इन युवा उद्योगपतियों से सीख सकते हैं कि कम उम्र में भी कैसे आगे बिना दिखावे के आगे बढ़ा जा सकता है ।
यही सच्ची देश सेवा है ।
सिर्फ़ ज्ञान होना ही काफी नहीं उसका उपयोग व्यापार में होना ही चाहिए तभी आप स्वयं को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करोगे ।
मैं जानता हूँ कि मैं तो एक अभियांत्रिकी का छात्र रहा हूँ या अब साहित्य में रुचि लेने लगा हूँ पर मेरी सोच मुझे आज सोचने पर मजबूर करती है कि मैं कु छ लिखूँ इस अन्धी दौड़ के बारे में ।
सेवा में
देवांशु त्रिपाठी ।
लेखक jsw स्टील्स लिमिटेड में मैनेजर के रूप में 12 वर्षो से कार्यरत हैं
और एक कवि ,शायर एवं पब्लिश्ड ऑथर हैं ।