
प्रितम व्यास ग्रेनाइट सिटी जालोर, राजस्थान से हैं।
अप्रैल 2020 में उन्होंने M. COM अर्थशास्त्र विषय से स्नात्तकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है I अभी एक विद्यालय में गणित अध्यापक के रूप में कार्यरत हैंI जरूरतमंद लोगों की सहायता और गरीबों की सेवा करना उन्हें अच्छा लगता है I
बचपन से ही उन्हें लिखने का बहुत शौक हैं I वो हमेशा सच्चाई का साथ देते हैं और जो देखते हैं उसे शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश करते हैं I उनके एक-एक शब्द में सच्चाई छिपी हुई है।

प्रीतम व्यास जी की दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं :-
“मेरे शब्द” और “मेरी पहचान”

जब उनसे किताब के प्रकाशक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ये बताया:-
“मैं किताब प्रकाशित करवाने से पहले ये सोच रहा था कि क्या करूं? कैसे करूं? क्या मैं ये सब कर पाउँगा? क्या मेरे अकेले से ये होगा? लेकिन कुछ ही दिनों में मुझे INSTANT PUBLICATION का एक पोस्ट मिला सोशल मीडिया पे बस फिर किस बात का इन्तजार था मैंने कॉल लगाया और Instant Publication से शिवम जी ने कॉल उठाया और जिस तरह से उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया जिस तरह से उन्होंने मुझे समझाया और सारी जानकारी दि I बस फिर क्या था ना जाने कब किताब लिखना शुरू किया कब किताब प्रिंट हुई और कब किताब प्रकाशित हुई पता ही नहीं चला I ये सब कुछ ऐसे हो गया जैसे मैं सोच रहा था और काम अपने आप हो रहा था I आपके सहयोग की वजह से मेरा काम पूरा हो पाया, अगर आप मेरी सहायता नहीं करते तो शायद यह काम पूरा ना हो पाता, मेरी सहायता करने के लिए आपका धन्यवाद!”

प्रीतम व्यास जी एक बेहतरीन लेखक हैं, पेश है उनके द्वारा लिखी गई एक रचना जो उन्होंने अपने “मां व पिताजी” को समर्पित किया है:-
मेरी पहचान
मैं कौन हूँ? मैं क्या हूँ? ना मेरा कोई अस्तित्व हैं और ना ही मेरी कोई पहचान हैं I मुझे तो कोई जानता भी नहीं हैं और ना ही मेरा कोई नाम हैं I
मैं कौन हूँ?
कौन हूँ मैं? कुछ भी तो नहीं I हाँ अगर मैं हूं तो उनका ही एक अंश हूँ I वो है तो मैं हूं वो नहीं तो मैं भी नहीं I कौन जानता है मुझे? कोई भी तो नहीं I आज जहाँ भी जाता हूँ उनके नाम से पहचाना जाता हूँ I मेरी पहचान अगर बनती है तो उनके नाम से जुड़कर उनके बिना तो मैं बेनाम हूँ I
मैं क्या हूँ?
क्या हूं मैं? मेरा अस्तित्व क्या है? मैं वही हूँ जहाँ वो है I मेरा आधार भी वही है I
मेरा अस्तित्व भी वही है? मैं उनसे ही जुड़ा हुआ हूँ I मेरी पहचान, मेरा नाम, मेरा आधार, मेरा अस्तित्व अगर कोई है तो वो है मेरे “मां-बाप” I
मेरी पहचान मेरे प्यारे “माँ-बाप”